". wysiwyg Layout दूसरा ज्योतिर्लिंग( श्री मलिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का महत्व)

दूसरा ज्योतिर्लिंग( श्री मलिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का महत्व)

श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बाद आज हम जानेंगे श्री मलिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के पीछे की कहानी और महत्व उसके पहले आपको श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करवाती है

यह हमारा दूसरा ज्योतिर्लिंग श्री मलिकार्जुन जोकि आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल पर्वत पर स्थित है किस पर्वत को दक्षिण का कैलाश कहा जाता है महाभारत शिव पुराण तथा पदम पुराण आदि धर्म ग्रंथों में इसकी महिमा और महत्व का विस्तार से वर्णन भी किया गया है 

पुराणों में इस ज्योतिर्लिंग कथा इस प्रकार बताई गई है कि एक बार भगवान शंकर जी के दोनों पुत्र श्री गणेश और श्री स्वामी कार्तिकेय विवाह के लिए आपस में झगड़ने लगे ।
दोनों का आग्रह था कि मेरा विवाह पहले किया जाए उन्हें लड़ते झगड़ते देखकर भगवान शंकर और मां भवानी ने कहा तुम लोगों में से जो पहले पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाकर यहां वापस लौट आएगा

 उसी का विवाह पहले किया जाएगा माता-पिता की यह बात सुनकर श्री कार्तिकेय तो तुरंत पृथ्वी प्रदक्षिणा के लिए दौड़ पड़े लेकिन गणेश जी के लिए यह कार्य तो बड़ा ही कठिन था एक तो उनकी काया बड़ी ईस्थूल थी दूसरा उनका वाहन भी मूषक अर्थात एक चूहा था भला फेक दौड़ में कार्तिकेय जी की बरा बरी कैसे कर पाते लेकिन उनकी काया जितनी मोटी थी बुद्धि उसी के अनुपात में शुछम और तेज थी 
उन्होंने बिना किसी देरी के पृथ्वी की परिक्रमा का एक सरल उपाय खोज निकाला सामने बैठे माता-पिता का पूजन करने के पश्चात उनके सात प्रदक्षिणा करके उन्होंने पृथ्वी प्रदक्षिणा का कार्य पूरा कर लिया उनका यह कार्य शास्त्र अनुमोदित था


पित्रोश् च पूजनम क्रतवा प्रक्रांती च करोती य:।तस्य वै प्रथ्वी जन्यम फलम भवति निश्चितम ।।


पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाकर स्वामी कार्तिकेय जब तक लौटे तब तक गणेश जी का विवाह सिद्धि और बुद्धि नाम वाली दो कन्याओं के साथ हो चुका था और उनके छह तथा लाभ नामक दो पुत्र भी हो चुके थे यह सब देखकर कार्तिकेय अत्यंत भ्रष्ट और क्रोधित होकर पर्वत पर चले गए माता पार्वती वहां उन्हें मनाने पहुंचे पीछे संकरभगवान वहां पहुंचकर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और तब से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग नाम से विख्यात हुए इनकी रचना सर्वप्रथम मल्लिका पुष्पों से की गई थी मल्लिकार्जुन नाम पढ़ने का यही कारण है 

एक दूसरी कथा कुछ इस प्रकार भी है----------

इस शैल पर्वत के निकट किसी समय राजा चंद्रगुप्त की राजधानी थी किसी व्यक्ति विशेष के निवारण के लिए उनकी एक कन्या महल से निकलकर इस पर्वतराज के आश्रय में आकर यहां गोपो के साथ रहने लगी थीउस कन्या के पास एक बड़ी सुंदर श्याम गाय थ उस गाय का दूध रात में कोई चोरी से दु ले जाता था
1 दिन संयोगवश उस राज कन्या ने चोर को दूध दूते देख लिया और क्रोधित होकर उस चोर की ओर दौड़े लेकिन कन्या गाय के पास पहुंचकर देखा कि शिवलिंग के अतिरिक्त और कुछ नहीं है अब राजकुमारी कुछ समय के पश्चात शिवलिंग पर एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया यही शिवलिंग मलिकार्जुन के नाम से प्रसिद्ध है शिवरात्रि के पर्व पर यहां बहुत बड़ा मेला लगता है इस मलिकार्जुन शिवलिंग और तीर्थ क्षेत्र की पुराणों में अधिक महिमा बताई गई है 

यहां आकर शिवलिंग का दर्शन पूजन और अड़चन करने वाले भक्तों की सभी सात्विक मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं उनकी भगवान शिव के चरणों में स्थिति हो जाती है वह एक दैविक भौतिक सभी प्रकार की बाधाओं से वह मुक्त हो जाते हैं भगवान शिव की भक्ति मनुष्य की मोक्ष के मार्ग पर ले जाने वाली है



हर हर महादेव।


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