". wysiwyg Layout प्रथम ज्योतिर्लिग ,श्री सोमनाथ ज्योति्लिंग की कथा

प्रथम ज्योतिर्लिग ,श्री सोमनाथ ज्योति्लिंग की कथा

आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे हमारे भारतीय संस्कृति में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में आप सभी जानते होंगे कि हमारे हिंदू धर्म में इन 12 ज्योतिर्लिंगों का क्या महत्व है यह 12 ज्योतिर्लिंग अपनी वारा विशेषताओं के साथ दुनिया के अलग-अलग स्थानों पर स्थापित हुए हैं इन सभी ज्योतिर्लिंगों का अपना विशेष महत्व और मान्यता है तो चलिए जानते हैं इन सभी के बारे में विस्तार से जैसे कि आप सबको पता होगा कि भगवान शिव जी के बारह ज्योतिर्लिंग है जो कि इस प्रकार हैं
श्री सोमनाथ 
श्री मलिकार्जुन
श्री महाकालेश्वर 
श्री ओंकारेश्वर
श्री केदारनाथ 
श्री भीमेश्वर
 श्री विश्वेश्वर
 श्री त्रंबकेश्वर 
श्री बैद्नाथ 
श्री नागेश्वर 
श्री सेतुबंध रामेश्वर 
श्री घुश्मेश्वर


श्री सोमनाथ-
 ऊपर दी गई शिवलिंग श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की है चलिए जानतेेेे हैं श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग कैसेे स्थापित हुआ।
यह ज्योतिर्लिंग सोमनाथ नामक विश्व प्रसिद्ध मंदिर में स्थापित है यह मंदिर गुजरात प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे स्थित है पहले यह क्षेत्र प्रभास क्षेत्र के नाम से जाना जाता था यही भगवान श्री कृष्ण ने जरा नामक व्याध को बाढ़ से निमित्त बनाकर अपनी लीला का संवरण किया था यहां के ज्योतिर्लिंग की कथा पुराणों में इस प्रकार दी हुई है



दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं थी उन सभी का विवाह चंद्र देवता के साथ हुआ था किंतु चंद्रमा का समस्त अनुराग उनमें एक केवल रोहनी के प्रति ही रहता था उनके इस कार्य से दक्ष प्रजापति की अन्य कन्याओं को बहुत कष्ट रहता था उन्होंने अपनी यह व्यथा कथा अपने पिता को सुनाई दक्ष प्रजापति ने इसके लिए चंद्रदेव को बहुत प्रकार से समझाया किंतु रोहिणी के वशीभूत उनके हृदय पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा अतः दक्ष ने क्रोधित होकर उन्हें छय रोग हो जाने का श्राप दे दिया इस श्राप के कारण चंद्र देव तत्काल छय्य ग्रस्त हो गए उनके रोगी होते ही पृथ्वी पर सुधा शीतलता वर्षण का कार्य रुक गया चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई चंद्रमा भी बहुत दुखी और चिंतित हो गए परंतु उनकी प्रार्थना सुनकर इंद्र देव और वशिष्ठ ऋषि गढ़ उनके उद्धार के लिए पितामह ब्रह्मा जी के पास गए उन्होंने सारी बातों को सुना कर ब्रह्मा जी से कहा चंद्रमा को श्राप विमोचन के लिए अन्य देवों के साथ प्रभासक्षेत्र में जाकर मृत्युंजय भगवान की आराधना करनी होगी उनकी कृपा से अवश्य ही उनका शराब नष्ट हो जाएगा और वह पुनः रोग मुक्त हो जाएंगे उनके कथन अनुसार चंद्रदेव ने मृत्युंजय भगवान की आराधना का सारा कार्य पूरा किया उन्होंने घोर तपस्या करते हुए 100000000 मृत्युंजय मंत्र का जाप किया ।
इस पर प्रसन्न होकर मृत्युंजय भगवान शिव ने उन्हें अमृत का वरदान प्रदान किया उन्होंने कहा चंद्रदेव तुम शौक ना करो मेरे वरदान से तुम्हारा साथ मोचन होगा ही साथ ही साथ प्रजापति दक्ष के वचनों से रक्षा भी हो जाएगी कृष्ण पक्ष में तुम्हारी एक एक कला छीड़ होगी और पुनः शुक्ल पक्ष में उसी क्रम में तुम्हारी एक एक कला बढ़ जाया करेगी इस प्रकार प्रत्येक पूर्णिमा को तुम्हें पूर्णचंद्र प्राप्त होता रहेगा चंद्रमा को मिलने वाले पितामह ब्रह्मा जी के इस वरदान से सारे लोगों में प्राणी प्रसन्न हो उठे सुधाकर चंद्र देव पुनः दसों दिशाओं में सुधा वर्षण का कार्य पूरा करने लगे शराब मुक्त होकर चंद्र देवता अन्य देवताओं के साथ मिलकर मृत्युंजय भगवान से प्रार्थना की कि आप माता पार्वती के साथ सदा के लिए प्राणियों के उद्धार के लिए यहां निवास करें भगवान शिव जी ने उनकी इस प्रार्थना को स्वीकार करते हुए ज्योतिर्लिंग रूप में माता पार्वती जी के साथ तब से यही रहने लगे पावन प्रभास क्षेत्र में स्थित इस सोमनाथ ज्योतिर्लिंग महिमा 
महाभारत श्रीमद् भागवत तथा स्कंद पुराण में विस्तार से बताई गई है चंद्रमा का एक नाम सोम भी है उन्होंने भगवान शिव को ही अपना नाथ स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी अतः इस ज्योतिर्लिंग को समनाथ कहा जाता है इसके दर्शन पूजन से जन्म जन्मांतर के सारे पाठक विनाश हो जाते हैं भगवान शिव और माता पार्वती जी की अक्षय कृपा को प्राप्त कर पात्र बन जाते हैं मोक्ष का मार्ग उनके लिए सहज ही सुलभ हो जाता है उनके आलौकिक पर अलौकिक सारे कृत्य में सफल हो जाते हैं
तो यह थी कहानी सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की अगले ब्लॉक में जानेंगे हमारे दूसरे ज्योतिर्लिंग श्री मलिकार्जुन बारे में।
हर हर महादेव

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