". wysiwyg Layout सातवां ज्योतिर्लिग श्री विश्वेश्वर(महादेव की दुनिया)

सातवां ज्योतिर्लिग श्री विश्वेश्वर(महादेव की दुनिया)

यह ज्योतिर्लिंग उत्तर भारत के प्रसिद्ध नगरी काशी में स्थित है इस नगरी का प्रलय काल में भी लोप नहीं होता है उस समय भगवान अपनी वासभूमी इस पवित्र नगरी को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और सृष्टि का काल आने पर पुनः इसे यथा स्थान रख देते हैं
सृष्टि की आदि स्थली भी इसी नगरी को बताया गया है भगवान विष्णु ने इसी स्थान पर सृष्टि कामना से तपस्या करके भगवान शंकर जी को प्रसन्न किया था अगस्त मुनि ने भी इसी स्थान पर अपनी तपस्या के द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न किया था इस पवित्र नगरी की महिमा ऐसी है कि यहां जो भी प्राणी अपने प्राण त्याग करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति निश्चित रूप से होती है भगवान शंकर उसके कान में तारक मंत्र का उद्देश करते हैं इस मंत्र के प्रभाव से पापी से पापी प्राणी भी सहज ही भवसागर की बाधाओं से पार हो जाता है अर्थात कोई भी मनुष्य कैसा भी मनुष्य हो इस काशी क्षेत्र में मृत्यु को प्राप्त होने पर पुनः संसार बंधन में नहीं आना पड़ता।
 उसे मत्स्य पुराण में इस नगरी का महत्व बताते हुए कहा गया है कि ज प, ध्यान, और ज्ञान रहे थे तथा दुखों से पीड़ित मरीजों के लिए काशी ही एकमात्र परम गति है श्री विश्वेश्वर के आनंद कानन में दशाश्वमेध लोलार्क बिंदु माधव केशव मणिकर्णिका यह 5 प्रधान तीर्थ है इसी से इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है इस परम पवित्र नगरी के उत्तर की तरफ उत्तराखंड दक्षिण में केदार खंड बीच में  विश्वेश वर खंड है 
प्रसिद्ध विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग इसी खंड में अव्यवस्थित है पुराणों में इस ज्योतिर्लिंग के संबंध में यह कथा भी दी गई है कि भगवान शंकर पार्वती जी का पाणिग्रहण करके कैलाश पर्वत पर रह रहे थे 
लेकिन वहां पिता के घर में ही विवाहित जीवन बिताना पार्वती जी को अच्छा नहीं लगता था एक दिन उन्होंने भगवान शिव से कहा कि आप मुझे अपने घर ले चलिए यहां रहना मुझे अच्छा नहीं लगता सारी लड़कियां शादी के बाद एक ना एक दिन अपने पति के घर जाती हैं मुझे पता के घर में ही रहना पड़ रहा है भगवान शिव ने उनकी यह बात स्वीकार कर ली।
 वे माता पार्वती जी को अपने साथ लेकर अपने पवित्र नगरी काशी में आ गए यहां आकर भी विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए शास्त्रों में इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का निगदन पुष्कल रूपो मैं किया गया है इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन पूजन द्वारा मनुष्य समस्त पापों सांपों से छुटकारा पा जाता है प्रतिदिन नियम से श्री विश्वेश्वर दर्शन करने वाले भक्तों के योग क्षेम का समस्त भार भगवान शंकर अपने ऊपर ले लेते हैं ऐसा भक्त उनके परमधाम के अधिकारी के बन जाते हैं भगवान शिव की कृपा उनके ऊपर सदैव बनी रहती है वह सदैव रोग ,शोक ,दुख और देने से दूर बने रहते हैं
हर हर महादेव

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