". wysiwyg Layout छटवां ज्योतिर्लिग -(श्री भीमेश्वर)

छटवां ज्योतिर्लिग -(श्री भीमेश्वर)

यह ज्योतिर्लिंग गुवाहाटी के पास रामपुर पहाड़ी पर अव्यवस्थित है ज्योतिर्लिंग की स्थापना के विषय में शिव पुराण में यह कथा दी गई है की प्राचीन काल में भीम नामक एक महा प्रतापी राक्षस था वह कामरूप प्रदेश में अपनी मां के साथ रहता था वह महाबली राक्षस राक्षस राज रावण के छोटे भाई कुंभकरण का पुत्र था लेकिन उसने अपने पिता को कभी देखा ना था ।


उसके हो संभालने के पूर्वी भगवान राम के द्वारा कुंभकरण का वध कर दिया गया था जब युवा अवस्था को प्राप्त हुआ ।

तब उसकी माता ने उसे सारी बातें बताएं भगवान विष्णु के अवतार श्री रामचंद्र जी द्वारा अपने पिता के बस की बात सुनकर वह महावली राक्षस अत्यंत क्रोधित हो उठा।
वह निरंतर भगवान श्री हरि के बाद के लिए उपाय सोचने लगा उसने अपनी अभीष्ट की प्राप्ति के लिए 1000 वर्ष तक कठिन तपस्या की उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे लोग वि जयीई होने का वर दे दिया अब तो वह राक्षस ब्रह्मा जी के उसी वर्क के प्रभाव से सारे प्राणियों को पीड़ित करने लगा।
उसने देवलोक पर आक्रमण करके इंद्र और सारे देवताओं को वहां से बाहर निकाल दिया पूरे देवलोक पर भीम का अधिकार हो गया उसके बाद उसने भगवान श्री हरि को भी युद्ध में परास्त किया श्री हरि को पराजित करने के पश्चात उसने काम रूप में भगवान शिव भक्त राजा सुदक्षिण पर आक्रमण करके उन्हें मंत्रियों सहित बंदी बना लिया।
इस प्रकार धीरे-धीरे उसने सारे लोगों पर अपना अधिकार जमा कर लिया उसके अत्याचार से वेदो, पुरानो, शास्त्रों ,स्मृतियों का सर्वदा एकदम लोप सा हो गया। वह किसी को कोई धार्मिक कृत्य करने नहीं देता था इस प्रकार वह यज्ञ, दान ,तप, स्वाध्याय आदि के सारे कामों को एकदम बंद करवा चुका था.
उसके अत्याचार  से घबराकर ऋषि मुनि और देवकर भगवान शिव की शरण में गए उन्होंने अपना तथा अन्य प्राणियों का दुख बताया उनकी यह प्रार्थना सुनकर भगवान शिव ने कहा मैं शीघ्र ही अत्याचारी राक्षस का संघार करूंगा।
उसने मेरे प्रिय भक्त कामरूप नरेश सुदक्षिद  को भी सबको सहित बंदी बना लिया है मैं अत्याचारी अशोक अब और अधिक दिनों तक जीवित रहने का अधिकारी नहीं रह गया है भगवान शिव से यह आश्वासन पाकर ऋषि मुनि और देवकरण अपने अपने स्थान को वापस लौट गए इधर राक्षस भीम ने बंदी गृह में पड़े हुए राजा सूदक्षिण ने भगवान शिव का ध्यान किया वह अपने सामने पार्थिव शिवलिंग रखकर अर्चना कर रहे थे उन्हें ऐसा करता देख क्रोध में आकर राक्षस भीम ने अपनी तलवार से पार्थिव शिवलिंग पर प्रहार किया किंतु उसकी तलवार का स्पर्श उस लिं ग  से हो भी नहीं पाया कि भीतर से भगवान शिव साक्षात वहां प्रकट हो गए।
उन्होंने अपनी हुंकार मात्र से उस राक्षस को वही जलाकर भस्म कर दिया भगवान शिव जी का यह अद्भुत कार्य देखकर सारे ऋषि मुनि और देवगढ़ वहां एकत्रित होकर उनकी स्थिति करने लगे उन लोगों ने भगवान शिव से प्रार्थना की है महादेव आप लोग कल्याण के लिए सदा के लिए यहां निवास करें यह क्षेत्र शास्त्रों में अपवित्र बताया गया है आपके निवास से यह स्थान भी पवित्र बन जाएगा भगवान शिव ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली और वह ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के निवास करने लगे उनका यह ज्योतिर्लिंग भीमेश्वर के नाम से विख्यात हुआ शिव पुराण में इस कथा को विस्तार से दिया गया है इस ज्योतिर्लिंग की महिमा अनुरोध है इस के दर्शन का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता है यहां आकर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है हर हर महादेव शिव पुराण में इस कथा को विस्तार से दिया गया है इस ज्योतिर्लिंग की महिमा अनुरोध है इस के दर्शन का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता है यहां आकर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है हर हर महादेव

Post a Comment

0 Comments