". wysiwyg Layout पांचवा - ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ (महादेव की दुनिया)

पांचवा - ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ (महादेव की दुनिया)

आज हम जानेंगे अपने पांच वे ज्योतिर्लिंग के बारे में जोकि मुझे हमेशा बहुत ही अपनी और आकर्षित करता रहा है और वह है श्री केदारनाथ केदारनाथ धाम का नाम सुनकर ही मन में सुकून का अनुभव होने लगता है केदारनाथ एक ऐसी जगह है  जहां मैं कई कई दिन बिता सकती हूं 
बिना किसी भौतिकवाद चीजों के यह जगह ऐसी है ही कि यहां पर आकर मन को जो सुकून मिलता है वह सारी दुनिया में कहीं और नहीं वैसे तो महादेव की सारे धाम  सारे ज्योतिर्लिंग मन को सुकून और शांति प्रदान करने वाले हैं पर मुझे केदारनाथ से एक खास लगाव है।



पुराणों एवं शास्त्रों में श्री केदार नाथ ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन बारंबार किया गया है यह ज्योतिर्लिंग पर्वतराज हिमालय की केदार नामक चोटी पर अवस्थित है यहां की प्राकृतिक शोभा देखते ही बनती है इस चोटी के पश्चिम भाग में उन्नति मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित केदारेश्वर महादेव का मंदिर अपने स्वरूप से ही हमें धर्म और अध्यात्म की ओर बढ़ने का संदेश देता है क्योंकि के पूर्व में अलकनंदा के श्रम में तत्पर बद्रीनाथ का परम प्रसिद्ध मंदिर है 
अलकनंदा और मंदाकिनी यह दोनों नदियां नीचे रुद्रप्रयाग में आकर मिल जाती हैं दोनों नदियों की यह संयुक्त धारा और नीचे देवप्रयाग में आकर भागीरथी गंगा में मिल जाती हैं इस प्रकार परम पावन गंगा जी में स्नान करने वालों को श्री केदारेश्वर और बद्रीनाथ के चरणों को धोने वाले जल का स्पर्श सुलभ हो जाता है अति पवित्र पुण्य फल दायिनी ज्योतिर्लिंग की स्थापना के विषय में पुराणों में यह कथा दी गई है कि अनंत रत्नों के जनक पवित्र तपस्वी हो रिशु मुनियों सिद्धू और देवताओं की निवास भूमि पर्वतराज हिमालय के केदार नामक अत्यंत शोभा वर्ली महा तपस्वी श्री नर और नारायण बहुत वर्षों तक भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बड़ी कठिन तपस्या की थी कई हजार वर्षों तक भी निराहार रहकर एक पैर पर खड़े होकर शिव नाम का जप करते रहे इस तपस्या से सारे लोगों में उनकी चर्चा होने लगी ।

देवता ऋषि मुनि यक्ष गंधर्व सभी उनकी साधना और संयम की प्रशंसा करने लगे चराचर के पितामह ब्रह्मा जी और सब का पालन पोषण करने वाले भगवान विष्णु भी माता पश्चिमी नरनारायण के तब की भूरी भूरी प्रशंसा करने लगे अंत में महादानी भूत भावन भगवान शिव जी भी उनकी कठिन साधना से प्रसन्न होते उन्होंने प्रत्यक्ष प्रकट होकर उन दोनों राशियो को दर्शन दिया और नर नारायण भगवान भोलेनाथ के दर्शन से भाव विभोर होकर बहुत प्रकार की पवित्र स्थितियों और मंत्रों से उनकी पूजा-अर्चना करने लगे भगवान शिव जी ने अत्यंत प्रसन्न होकर उसे वरदान मांगने के लिए कहा भगवान शिव के अद्भुत बात सुनकर दोनों देशों ने उनसे कहा देवा दी दव महादेव यदि आप हमसे प्रसन्न हैं तो भक्तों के कल्याण हेतु आप सदा सर्वदा के लिए अपने स्वरूप को यहां स्थापित करने की कृपा करें आपके यहां निवास करने से यह स्थान सभी प्रकार से अत्यंत अपवित्र हो उठेगा यहां आकर आपका दर्शन पूजन करने वाले मनुष्य को आपकी अविनाशिनी भक्ति प्राप्त हुआ करेगी।
हे प्रभु आप मनुष्य के कल्याण और उनके उद्धार के लिए अपने स्वरूप को यहां स्थापित करने की हमारी प्रार्थना को अवश्य ही स्वीकार करें उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान शिव ने ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां वास करना स्वीकार किया केदार नामक हिमालय परा व्यवस्थित होने के कारण इस ज्योतिर्लिंग को श्री केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है भगवान शिव से वर मांगते हुए नर और नारायण ने इस ज्योतिर्लिंग और पवित्र स्थान के विषय में जो कुछ कहा है वह अच्छा सा सत्य है इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन पूजन और यहां स्नान करने से भक्तों के लॉकेट फलों की प्राप्ति होने के साथ-साथ अचल से व्यक्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति भी हो जाती है

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