उनकी यह बात सुनकर गणेश जी ने उन्हें ऐसा वरना मांगने के लिए समझाया किंतु वह अपने आग्रह पर अटल रहे अंत में गणेश जी को विवश होकर उनकी बात माननी पड़ी अपने भक्तों के मन रखने के लिए वे एक दुर्बल गाय का रूप धारण करके ऋषि गौतम के खेत में जाकर चलने लगे गाय को खेत में चढ़ते देखकर ऋषि बड़ी नरमी के साथ हाथ में चरण लेकर उसे भगाने के लिए गए किंतु उनके हाथ का जो डंडा था
उसका स्पर्श पाते ही वह गाय वही मर कर गिर पड़ी अब तो बड़ा हा कार मच गया सारे ब्राह्मण एकत्रित हो गौ हत्या रा कहकर ऋषि गौतम की भूरी भूरी अवहेलना करने लगे ऋषि गौतम इस घटना से बहुत आश्चर्यचकित और दुखी हो गए अब उन सारे ब्राह्मणों ने उनसे कहा कि तुम्हें आश्रम छोड़कर अन्यत्र कहीं चले जाओ गौ हत्यारे के निकट रहने से हमें भी पाप लगेगा अंत में विवश होकर ऋषि गौतम अपनी पत्नी अहिल्या के साथ वहां से 1 कोस दूर जाकर रहने लगे
किंतु उन ब्राह्मणों ने वहां भी उनका रहना दूभर कर दिया वह कहने लगे गौ हत्या के कारण तुम्हें अब वेद पाठ और यज्ञ करने का कोई अधिकार नहीं रह गया है अत्यंत दुखी भाव से ऋषि गौतम ने उन ब्राह्मणों से प्रार्थना की कि आप लोग मेरे उद्धार का कोई उपाय बताएं ।तब उन्होंने कहा गौतम तुम अपने पाप को सर्वत्र सबके सामने बताते हुए तीन बार पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करो फिर लौटकर यहां आने के बाद 1 महीने तक व्रत करो इसके बाद ब्रम्हगिरी की 101 परिक्रमा करने के बाद तुम्हारी छुट्टी होगी अथवा या गंगा जी को लाकर उनके जल से स्नान करके एक करोड़ पार्थिव शिवलिंग वो से शिवजी की आराधना करो इसके बाद पुनः गंगा जी स्नान करके इस ब्रह्मगिरि की 11 बार परिक्रमा करो फिर 100 मटको के पवित्र जल से पार्थिव शिवलिंग को स्नान कराने से तुम्हारा उद्धार होगा।
ब्राह्मणों के कथन अनुसार महर्षि गौतम के सारे कृत्य पूरे कर के पत्नी के साथ पूर्णता तल्लीन होकर भगवान शिव की आराधना करने लगे इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने प्रकट होकर उनसे वर मांगने को कहा मैं गौतम ने उनसे कहा कि भगवान मैं यही चाहता हूं कि आप मुझे गौ हत्या के पाप से मुक्त कर दे भगवान शंकर गौतम तुम सदैव निष्पाप हो गौ हत्या तुम्हें छल पूर्वक लगाई गई थी छल पूर्वक ऐसा करने वाले तुम्हारे आश्रम के ब्राह्मणों को मैं दंड देना चाहता हूं गौतम ने कहा प्रभु उन्हीं के वजह से आज मुझे आपके दर्शन प्राप्त हुए हैं अब उन्हें मेरा परम हित समझकर उनका भी हित करें और क्रोध ना करें बहुत से ऋषि-मुनियों और देव करो ने एकत्रित होकर गौतम की बात का अनुमोदन करते हुए भगवान शिव से सर्वदा वहां निवास करने की प्रार्थना की भी उनकी बात मान कर वहां त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से स्थित हो गए गौतम जी द्वारा लाई गई गंगा जी भी वहां पास में गोदावरी नाम से प्रभावित होने लगी
यह ज्योतिर्लिंग समस्त पुन्यो को प्रदान करने वाला है
हर हर महादेव
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