की वजह से घर पर कैद होकर काम करने को मजबूर हो चुका है खैर यह तो बीमारी कि बात हुई पर यहां मै बात करूंगी उस बीमारी के बारे में जो स्कूलों में ज्यादातर फैल चुकी है और उस दिखावटी बीमारी के चलते पढ़ाई भी दिखावटी हो चुकी है तो क्या है वह दिखावटी बीमारी आइए बात करते हैं मेरी बेटी की एसएसटी की चालू हो चुकी थी और शुरू हो चुका था ताबड़तोड़ अंग्रेजी बोलने का सिलसिला ऐसे में सिर्फ हिंदी की मैडम ऐसी थी जो हिंदी बोलने के लिए स्वतंत्र थी और बच्चे भी उन्हें सुनकर खुश होते है
माना आजकल के बच्चों का आइक्यू लेवल बहुत तेज होता है
पर आप बताएंगे इंग्लिश क्या है मेरे हिसाब से तो इंग्लिश एक भाषा है एक माध्यम है एक तरीका है जिसके द्वारा हम अपनी बात को दूसरे को कहते हैं और समझाने की पूरी कोशिश करते हैं कि हम क्या कह रहे हैं या हमारी बात का मतलब क्या है मान लीजिए मैंने इंग्लिश की क्लास में किसी बच्चे के द्वारा पूछे गए क्वेश्चन के आंसर को इंग्लिशमें ही लिख डिस्क्राइब discribe कर दिया।
जैसे कि मैंने कहा it is very prominent तभी किसी बच्चे ने मुझसे पूछा मैम आई डोंट अंडरस्टैंड मीनिंग ऑफ प्रॉमिनेंट और बदले में मैंने रिप्लाई करा कि बेटा the prominent's another meaning is famous। इस तरह से मैंने आगे फिर से कंटिन्यू कर दिया बेचारा बच्चा ।मैंने इंग्लिश को इंग्लिश में ट्रांसलेट कर दिया । माना यह तो फेमस था बहुत ही आसान शब्द जो उसे समझ में आ गया होगा पर क्या जरूरी है क्लास में मौजूद सारे बच्चों को उस प्रॉमिनेंट और उस सिमिलर वर्ड फेमस का मतलब समझ में आ गया होगा इसी तरह क्लास आगे बढ़ती रहती है और फिर बच्चे सिर्फ स्क्रीन की तरफ टाइम पास करते हुए यस मैम बोलने लगते हैं
मेरा मानना है इंग्लिश बोलनाया स्कूल में इंग्लिश का वातावरण होना गलत नहीं होता है पर किसी चैप्टर को पढ़ाते टाइम अगर हम उस चैप्टर में मौजूद सारे पॉइंट्स उस चैप्टर में बताई गई बातों को बच्चों को ना समझा पाए तो इतनी सारी इंग्लिश बोलना बेकार चली जाएगी ।और मैं यही करती हूं मैं जब भी अपनी बेटी को पढ़ाती हूं तो मैं उसे एक पैराग्राफ रीड करने के बाद उस पैराग्राफ में आए हर वर्ड का हिंदी में मतलब जरूर बताती हूं उसके बाद में उसको इंग्लिश में डिक्टेट भी कर देती हूं उससे उसको लेसन में आए सारे डिफिकल्ट वर्ड मीनिंग हिंदी में भी पता चल जाते हैं और उन्हीं के मिलते जुलते सिमिलर वर्ड भी समझ जाती है यह है मेरा तरीका क्या आप लोग सहमत हैं
आज के नए तरीके से जो क्लास में इंग्लिश को इंग्लिश में sst को इंग्लिश में और साइंस को इंग्लिश में हर विषय को इंग्लिश में ही समझाना चाहते हैं ऐसे में बच्चे मजबूरी बस जी मैम जी मैम कहकर क्लास पूरी कर लेते हैं और उनसे अगर पूछा जाए कि प्रॉमिनेंट का मतलब हिंदी में क्या होता है तो उन्हें नहीं पता होता है यही वजह है कि आज के बच्चों से अगर आप 22 बोल दीजिए तो वह पूछेंगे इसको इंग्लिश में क्या बोलते हैं क्योंकि हमने उन्हें समझाया ही नहीं कि twenty two को हिंदी में 22 भी बोला जाता है
ठीक उसी तरीके से उन्हें नहीं पता की प्रॉमिनेंट prominent को हिंदी में स्पेशल या उन्हीं से मिलते जुलते शब्दों को हिंदी में क्या बोलते हैं उन्हें तो पता है तो उनके synonyms
तो यह है
आजकल फैली हुई स्कूलों में नई बीमारी खैर मैं पढ़ी-लिखी हूं तो मैं अपनी बच्ची को वह सारी चीजें समझा देती हूं जो मुझे पता है उसको ऑनलाइन नहीं समझ में आई होंगी पर क्या जरूरी है क्लास के सारे बच्चे या स्कूल के सारे बच्चों के माता-पिता पढ़े लिखे ही हो क्योंकि आजकल तो माता-पिता एक अच्छे और बड़े अंग्रेजी मीडियम स्कूल में इसलिए अपने बच्चों का एडमिशन करवाते हैं ताकि उनका भविष्य और उनका व्यवहार अच्छा हो सके और वह कहीं भी जाएं तो बोलने में हिचकिचाए ना पर यह कैसी आधी अधूरी विकास की धारा है जहां बच्चे हिंदी को एक पिछड़ी हुई भाषा समझने लगे हैं हिंदी में बात करने वालों को कम पढ़ा लिखा और गवार समझने लगे हैं
मुझे अंग्रेजी में बात करना या अंग्रेजी भाषा से कोई परेशानी नहीं है मुझे परेशानी है उन तरीकों से जो आधुनिकता और स्टैंडर्ड के नाम पर अपनी बातों को भी ठीक से समझाने में असमर्थ है और कम्युनिकेशन का तो मतलब ही है अपनी बात को सामने वाले को ठीक से समझाना और यदि हम वह करने में ही असमर्थ है तो हमारा अंग्रेजी बोलना भी व्यर्थ है
जय हिन्द
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Ryt
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